" अगर युूँ ही कमियाँ निकालते रहे आप...
तो एक दिन केवल खूिबयाँ रह जाएगी मुझमे | "
















दुनियादारी की चादर ओढ़ी है। पर जिस दिन दिमाग सटका ना,
इतिहास तो इतिहास। भूगोल भी बदल देंगे।
















हम तो दूशमनो को भी पकीजा सजा देते है....
हाथ उथाते नही बस नजरो से गिरा देते है
















तूने तो कहा था हर शाम गुजरेगी तेरे साथ,
तू बदल गया, या तेरे शहर में शाम नहीं होती ।
















गुलामी तो तेरे ईश्क की करी थी...
वरना हम तो पेहले भी थे ओर आज भी है
















बीच मझधार में आकर फरेब क्यों किया उसने?
वो ग़र कहती तो हम किनारे पे ही डूब जाते ...
















जाते जाते उसने ये तो कहा "अपना ख्याल रखना"... पर उसकी आंखे कह रही थी
"अब मेरा ख्याल कोन रखेगा".....
















तू देख या ना देख;तेरे देखने का गम नहीं„
पर तेरी ये ना देखने की अदा भी देखने से कम नहीं .
















लोग हर मोड पर रूक-रूक के संभलते क्यु है ?
इतने डरते है तो घर से निकलते क्यु है ?
















हम जिएंगे अपनी मर्जी से और तुमपर मरेंगेभी अपनी मर्जी से... चल रे हवा येऊ दे.
















दिल चीर के देख तेरा ही नाम होगा...















