हमने मिलवाया था तुझको समेट कर तुझसे वो बकाया है मेरी जान बराबर कर दे , इतना उलझा हूँ कि खुद को भी नहीं मिलता एक सिरा ढूँढ के एहसान बराबर कर दे । कुमार विश्वास
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