सारा "जहान" है जिसकी "शरण" में,
"नमन" है उस "माँ" के "चरण" में,
हम हैं उस माँ के "चरणों की धूल",
आओ "मिलकर माँ" को चढ़ाएं "श्रद्धा के फूल"


0 comments:

Post a Comment