हर नज़्ज़ारा डूब रहा है, आँखों में इतना पानी है, मौत ही केवल सच्चाई है, ये जीना नौहा-ख़्वानी है, जाने वालों ने ज़िद कर के, बात न कोई भी मानी है,


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