काश! कभी ऐसा भी हो मेरे मर जाने के बाद कोई कहीं मेरे लिक्खे अश'आर पढ़े मेरी नज़्मों से मेरी ग़ज़लों से मेरी सोच की तह तक जा पहुँचे मेरी रूह को जाने और अपने ज़ेहन में मेरी इक तस्वीर उकेरे और ये सोचे "मुमकिन है मुझे इस से मुहब्बत हो जाती"
काश! कभी ऐसा भी हो मेरे मर जाने के बाद कोई कहीं मेरे लिक्खे अश'आर पढ़े मेरी नज़्मों से मेरी ग़ज़लों से मेरी सोच की तह तक जा पहुँचे मेरी रूह को जाने और अपने ज़ेहन में मेरी इक तस्वीर उकेरे और ये सोचे "मुमकिन है मुझे इस से मुहब्बत हो जाती"
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