चले थे छोड़कर जो अपने देश को वो रोते हैं बच्चेा की तरह लोंटने को उम्र बित गई वो सुकून नही मिला हम गैरो में भी ढूँढते हैं अपनो को.
चले थे छोड़कर जो अपने देश को वो रोते हैं बच्चेा की तरह लोंटने को उम्र बित गई वो सुकून नही मिला हम गैरो में भी ढूँढते हैं अपनो को.
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