नमक और चीनी को दूर से अलग- अलग नहीं पहचान सकते कई बार तो पास आकर भी नहीं। जब चखने के सिवा कोई तरीका नहीं होता। किसी शराबी से पूछना कि उसे मयनोशी के वक़्त मीठा चाहिए क्या ? इश्क़ के नमक का स्वाद चखते ही लफ़्ज़ गूंगे हो जाएंगे आंखों के शीशमहल में जल उट्ठेंगे चराग़! और तुम्हारी रूह को वो रोशनी मीठी लगेगी!
नमक और चीनी को दूर से अलग- अलग नहीं पहचान सकते कई बार तो पास आकर भी नहीं। जब चखने के सिवा कोई तरीका नहीं होता। किसी शराबी से पूछना कि उसे मयनोशी के वक़्त मीठा चाहिए क्या ? इश्क़ के नमक का स्वाद चखते ही लफ़्ज़ गूंगे हो जाएंगे आंखों के शीशमहल में जल उट्ठेंगे चराग़! और तुम्हारी रूह को वो रोशनी मीठी लगेगी!
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