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मैं शीतल प्रकाश,शालीन हूँ, सात्विक समय का प्रतीक हूँ, संस्कारों से मैं गंभीर हूँ, ब्राह्मण हूँ मैं न अधीन हूँ! तपोबल में मैं परशुराम हूँ, ज्ञान में मैं तुलसीदास हूँ क्रोध में मैं सबका विनाश हूँ ब्राह्मण हूँ मैं सृष्टि का आगाज़ हूँ। भक्ति में मीरा के मैं समान हूँ, तेज़ में सूर्य का मैं प्रकाश हूँ, अडिगता में मैं कैलाश हूँ, ब्राह्मण हूँ मैं फर्ज़ में रघुनाथ हूँ। प्रेम में राधिके के समान हूँ, मार्ग प्रशस्ति का पालनहार हूँ, सभी वर्गों का मैं प्रमाण हूँ, ब्राह्मण हूँ,मैं शेर सा हुँकार हूँ।


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