तू है बुरा तो होगा, पर बातों में तेरी रस है जैसा भी है मुझे क्या, अपना लगे तो बस है घर हो तेरा जिस नगरी में, चाहे जो हो तेरा नाम रे घर-वर, नाम-वाम, मैं क्या जानूँ रे … दिल-विल, प्यार-व्यार, मैं क्या जानूँ रे जानूँ तो जानूँ बस इतना जानूँ कि तुझे अपना जानूँ रे


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