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आज मैंने तेरे पसंद का सूट सलवार पहना था हर रोज की तरह आज भी सादगी हीं मेरा गहना था फिर भी लोगों ने‌ मेरे कपड़े पर हीं सवाल किया देख ना मां तेरी गुड़ीया का ये क्या हाल किया कुछ तो इस हादसे पर अब बातें बना रहे हैं ग़लती लड़की की हीं होगी, यही सुना रहे हैं सच कहूं इस ज़माने ने मेरा जीना मुहाल किया देख ना मां तेरी गुड़ीया का ये क्या हाल किया मैंने बस उसका इज़हार-ए-इश्क ठुकराया फिर उसने मुझे अपनी बातों में लगाया की किसी ने मेरा हाथ पकड़ा और चेहरे पर तेज़ाब डाल दिया देख ना मां तेरी गुड़ीया का ये क्या हाल किया


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