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सोचा थोड़ा निभाऊं अपना फ़र्ज़, 'माँ' थोड़ा चुकाऊं तेरी ममता का कर्ज! निकला ढूंढने और मैं अपनी इच्छा पूरी करने पे अड़ गया, पर इस जँहा में तेरा स्नेह ढकने को आसमाँ भी कम पड़ गया!


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