रात की नदी में चांद एक सुफ़ैद कश्ती है, उस पार उतारेगी हम दोनों को फिर, सूरज के सुनहरी ऊँट पे सवार होकर हम दिन के मरुस्थल का सफ़र करेंगे!


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