जिस बेनाम बचपन के लिए पूरी जवानी पिताजी की वृहत परछाई को कोसा, उस परछाई को अब देखने पर मालूम होता है कि वो पिताजी की दी हुई छांव थी।
जिस बेनाम बचपन के लिए पूरी जवानी पिताजी की वृहत परछाई को कोसा, उस परछाई को अब देखने पर मालूम होता है कि वो पिताजी की दी हुई छांव थी।
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