हर तरफ थी फकत बात बरसात की, तुम मिले आ गई रात बरसात की, रात रुक ना तेरा इत्तेफ़ाक़ था या फिर, थी कोई वो खुराफात बरसात की आंधियों की तरह आयी, तूफ़ा सी फिर, खो गई वो मुलाक़ात बरसात की, गांव सूखे थे पर वो शहर खा गई, इक यही है बुरी बात बरसात की
हर तरफ थी फकत बात बरसात की, तुम मिले आ गई रात बरसात की, रात रुक ना तेरा इत्तेफ़ाक़ था या फिर, थी कोई वो खुराफात बरसात की आंधियों की तरह आयी, तूफ़ा सी फिर, खो गई वो मुलाक़ात बरसात की, गांव सूखे थे पर वो शहर खा गई, इक यही है बुरी बात बरसात की
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