शिर्क है खुद से खुदका खुदा हो जाना l तो मिट्टी के पुतलों को आईना कब दिखायेगा ll हकीकत तो ये थी, कि खंजर मेरा था l क़त्ल है या फिर ख़ुदकुशी मुंसिफ़ को क्या बतलायेगा ll


0 comments:

Post a Comment