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शिर्क है खुद से खुदका खुदा हो जाना l तो मिट्टी के पुतलों को आईना कब दिखायेगा ll हकीकत तो ये थी, कि खंजर मेरा था l क़त्ल है या फिर ख़ुदकुशी मुंसिफ़ को क्या बतलायेगा ll


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