आदमी हूँ कमाल का, इस्तेमाल का नही। दीवाना हूँ शख्सियत का, जमाल का नही। ठोकर पहुँचा दो दिल को मेरे, सम्मान का नही। जी रहा हूँ खुद्दारी से, सवाल मेरे अभिमान का नही।
आदमी हूँ कमाल का, इस्तेमाल का नही। दीवाना हूँ शख्सियत का, जमाल का नही। ठोकर पहुँचा दो दिल को मेरे, सम्मान का नही। जी रहा हूँ खुद्दारी से, सवाल मेरे अभिमान का नही।
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