करवा चौथ की रात थी, सिर पर चांद था और सामने मेरा चांद। जब मैंने उनके माथे को चूमा, तो आसमान का चांद भी उस पल का गवाह था। एक ख़ूबसूरत याद है ये भी, जनाब... जो आज भी इन आँखों की गहराई में कैद है।


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