दिव्य अनुभव है किसी अन्यभाषी से प्रेम करते हुए उसकी भाषा सीखते जाना। उर्ध्वगामी प्रेम में फिर भाषा का गौण हो जाना सीख लेना मौन और स्पर्श की भाषाएँ। कैसी उलटबांसी है ये प्रेम।


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