तुमने जब मुक्त किया था पहले आलिंगन के बाद मैं बंध चुका था अनंत अदृश्य धागों में। तुम्हारा शेष स्पर्श मेरी त्वचा को अपहृत कर चुका था। प्रेम का संविधान मुक्ति की धाराओं से बना है। आगे तुम समझदार हो ही, आ जाओ।


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