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ऐ दोस्त,अरसे बाद, तेरी तस्वीर को देख रहा था .. लिखूं ना लिखूं या क्या लिखूं .. बस अपने भीतर यही सोच रहा था .... अचानक मेरी नजर तुम्हारे चश्मे पर पड़ी तो मेरे चेहरे का खालीपन मुझे एकटक देख रहा था .. पता नहीं शायद कुछ वह मेरी खामोशी से कह रहा था .. वही खालीपन तेरे जाने के बाद महसूस कर रहा था.. अपनी अधूरी दुनिया में फिर से जीने की शुरुआत कर रहा था.. फिर क्या ,खुद को बिखरने से समेट रहा था.. तेरी यादों को अपनी यादों से भी बिखेर रहा था तूने जो याद किया था.. इसलिए बंद आखो से तेरी तस्वीर को देख रहा था... अब और क्या कहूं .. तुम्हारे जाने को अब भी भुला नहीं पाता हूं .. न जाने क्यों खुश हो कर भी खुश नहीं हो पाता हूं. तू नहीं अब इस दुनिया में बड़ी मुश्किल से खुद को समझाता हूं..... याद जब भी तुम्हारी आती है तो मन ही मन मुस्कुराता हूं .......मन ही मन मुस्कुराता हूं ... मन ही मन मुस्कुराता हूं....


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