कोरोना "वायरस" हैं साहब, मजहब का "गुलाम" नहीं, ये हर किसी को अपना बना लेता हैं, ना उसका "मजहब" देखता हैं, और ना ही उसका "धर्म"।
कोरोना "वायरस" हैं साहब, मजहब का "गुलाम" नहीं, ये हर किसी को अपना बना लेता हैं, ना उसका "मजहब" देखता हैं, और ना ही उसका "धर्म"।
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