0
सुनो! तुम्हारा ठिकाना आज भी महफूज़ है, ये दिल अब भी तुम्हारी हीं याद में मशगूल है। हां माना बेपनाह मोहब्बत आज भी सिर्फ़ तुमसे है, पर यकीन मानो, तुम्हारा लौटना भी अब फ़िज़ूल है।।


0 comments:

Post a Comment